- लक्ष्य की प्राप्ति और जीवन में उन्नति के लिए आवश्यक है समर्पणसमर्पण के साथ-साथ विश्वास का होना भी आवश्यक है। जिस प्रकार एक बीज धरती में रोपित किया जाता है तो वह संपूर्ण रूप से खुद को धरती मां की गोद में समर्पित कर देता है। तभी उसमें विकास के नए अंकुर फूट पड़ते हैं।... Read more »
- शांति से सभी दुखों का खत्म किया जा सकता है, वहीं अशांति पतन का कारण बनती हैशांति द्वारा सभी दुखों का शमन किया जा सकता है। इससे हर रोग का निदान होता है। शांति का माध्यम सभी समस्याओं का समाधान तैयार करता है। शांति ही देश का निर्माण करती है वहीं अशांति से देश का पतन आरंभ होता है।... Read more »
- सोच की सुंदरता: गलत सोच का चश्मा जितनी जल्दी हो, उतार देना चाहिएहमारा चिंतन गुणों की ओर केंद्रित रहना चाहिए। जो अभाव को भाव तथा दुख को सुख में बदलने की कला जानता है उसी का जीना सार्थक है वही सफल इंसान है। वैसे भी भविष्य उनका होता है जो सपनों की सुंदरता पर भरोसा करते हैं।... Read more »
- व्यक्ति को निरंतर रूप से निखारती है आत्म-प्रतिस्पर्धाप्रतिस्पर्धा की यही विशेषता इसे संघर्ष से अलग करती है। एक अन्य विशेष बात यह है कि प्रतिस्पर्धा किसी तंत्र विशेष तक ही सीमित रहती है। एक विशेष तरह की प्रतिस्पर्धा एक विशेष तंत्र में ही दृष्टिगोचर होती है।... Read more »
- घर-परिवार और समाज के साथ ही योग जीवन का मार्ग प्रशस्त करता हैऋषियों ने प्रकृति की गूंज सुनकर उसमें त्रिस्तरीय योग का जो स्वरूप देखा उसमें ‘ऊं’ शब्द दिखाई पड़ा। इस ‘ऊं’ में ‘अ’ ‘उ’ और ‘म्’ का योग है। गर्भ में अस्तित्व में आना ‘अ’ जन्म के बाद उत्थान ‘उ’ तथा मृत्यु ‘म्’ का संयुक्त होना भी योग है।... Read more »
- योग के सभी सूत्र सुदृढ़ मानव जीवन की आधारशिला हैंयोगसूत्र के प्रणोता महर्षि पतंजलि संयमन अर्थ में चित्तवृत्तियों के निरोध को योग कहते हैं। उनके अनुसार यम नियम आसन ध्यान धारणा आदि आठ अंगों से संपन्न प्राणायाम की विविध क्रियाएं योग कहलाती हैं। इससे चित्त की एकाग्रता बढ़ती है।... Read more »
- हड़बड़ी न करें, क्योंकि धैर्य का फल हमेशा मीठा होता है!धैर्य का अर्थ मूक रहकर मात्र प्रतीक्षा करना नहीं है। धैर्य का अर्थ है उत्तेजनारहित होकर अपने कार्य में निरंतर संलग्न रहना। किसी कार्य के प्रति अतिउत्साह अथवा असंयम उक्त कार्य के फल को परिपक्व नहीं होने देता।... Read more »
- ईश्वर की प्राप्ति ही तो जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है...यम में सत्य अहिंसा ब्रह्माचर्य अस्तेय और अपरिग्रह आते हैं। सत्य शब्द से तात्पर्य है सत्यता का जीवन में हर समय पालन करना। अहिंसा केवल जीव हिंसा से ही संबंधित नहीं है इसमें दूसरों की भावनाओं को आहत नहीं करना भी आता है।... Read more »
- मानव के लिए नैतिक मूल्यों का क्या महत्व है?हम जीवन में महत्वपूर्ण निर्णय नैतिक कसौटी पर कसने के बाद ही करते हैं लेकिन कई बार मनुष्य उसे अनदेखा कर फैसला करता है जो नैतिक पतन का कारण बनता है। स्मरण रहे कि ईश्वर ने हमें सिर्फ सुख भोगने के लिए ही इस संसार में नहीं भेजा है।... Read more »
- Spiritual Consciousness: आध्यात्मिक चेतना आखिर क्या है?ऋषि-मुनि आध्यात्मिक मूल्यों को सर्वोच्च महत्व देते हैं। हिंदूू धर्म के आध्यात्मिक मूल्यों का अनुक्रम है-धर्म अर्थ काम तथा मोक्ष। अर्थ तथा काम संसारिक मूल्य हैं जबकि धर्म तथा मोक्ष आध्यात्मिक मूल्य हैं परंतु धर्म का स्थान सर्वदा प्रथम है।... Read more »